अरविंद त्रिवेदी जीवनी अरविंद त्रिवेदी गुजरात के एक भारतीय अभिनेता, थिएटर आर्टिस्ट और राजनीतिज्ञ थे। अरविंद त्रिवेदी ने हिंदी और गुजराती सहित लगभग 300 फिल्मों में काम किया। वह, अपने भाई उपेंद्र त्रिवेदी के साथ, 40 से अधिक वर्षों तक गुजराती सिनेमा में विपुल रहे। वह टेलीविजन धारावाहिक रामायण (1987) में रावण की भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में गुजरात के साबरकांठा से भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए चुने गए थे।
अरविंद त्रिवेदी जन्म, माता पिता, बचपन, शिक्षा, पत्नी, परिवार
अरविंद त्रिवेदी का जन्म 8 नवंबर 1938 को इंदौर (अब मध्य प्रदेश में) में जेठालाल त्रिवेदी के घर हुआ था। उन्होंने बॉम्बे (अब मुंबई) में भवन कॉलेज में इंटरमीडिएट स्तर तक अध्ययन किया। उन्होंने 4 जून 1966 को नलिनी से शादी की। उनकी तीन बेटियाँ थीं। उनके भाई उपेंद्र त्रिवेदी भी गुजराती फिल्म अभिनेता थे।
अरविंद त्रिवेदी जिंदगी
अरविंद त्रिवेदी जी असल जिंदगी में बहुत बड़े राम भक्त है। लंबी चौड़ी कद काठी, भारी-भरकम आवाज और बड़े ही नेक दिल इंसान थे। अरविंद त्रिवेदी जीने रावण का रोल इस तरह जीवित किया कि असली रावण भी उनके सामने फीका पड़ेगा। इन का आत्मविश्वास, शारीरीक हावभाव, मुख मूद्रा लोगों के दिल में कुछ ऐसे बसेरा किया असल जिंदगी में भी लोग इनको रावण, लंकेश, दशानन तक बुलाने लगे। उनके धर्मपत्नी को लोग मंदोदरी और उनके बच्चों को रावण पुत्र कहके बुलाने लगे।
अरविंद त्रिवेदी करीअर
उन्हें रामानंद सागर की टेलीविजन धारावाहिक रामायण (1987) में रावण की भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने विक्रम और बेताल और अन्य टीवी धारावाहिक में अभिनय किया। फिल्म देश रे जोया दादा परदेश जोया, जिसमें उन्होंने दादाजी के रूप में अभिनय किया, इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड तोड़े और उन्हें आज भी इस भूमिका के लिए याद किया जाता है। त्रिवेदी ने हिंदी और गुजराती सहित लगभग 300 फिल्मों में काम किया। उन्होंने कई सामाजिक और पौराणिक फिल्मों में अभिनय किया था। उनकी ज्यादातर फिल्में धार्मिक और सामाजिक मूद्दे पर बनी थी। अरविंद त्रिवेदी जी ने पराया धन मूवी से बॉलीवुड में डेब्यू किया इस फिल्म में बड़े-बड़े दिग्गज राकेश रोशन, हेमा मालिनी जैसे कलाकार थे इतने बड़े मंच पर काम कर अरविंद जी की प्रतिभा को काफी चमक मिली और उनका आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि इन्होंने 80 के दशक तक हिंदी और गुजराती में दर्जनों फिल्में कर डाली।अरविंद त्रिवेदी जी कि पहली गुजराती मूवी जेसल तोरल थी।
अरविंद त्रिवेदी जी को रावण का किरदार कैसे मिला
1987 में अरविंद त्रिवेदी ने जी ने रामानंद सागर के धारावाहिक विक्रम बेताल में काम किया और यहीं से रामानंद जी ने अरविंद जी की प्रतिभा को पहचान लिया था। जब रामायण के किरदारों का चयन हो रहा था तो अरविंद त्रिवेदी जी ने रामायण में काम करने की इच्छा जताई फिर अरविंद जी ने जी को रामानंद जी ने ऑडिशन के लिए बुलाया जब अरविंद जी ऑडिशन के लिए पहुंचे तब रावण के किरदार के लिए ऑडिशन चल रहे थे लगभग 300 लोगों का ऑडिशन चल रहा था 300 लोगों का ऑडिशन खत्म होने पर रामानंद जी अरविंद त्रिवेदी जी से मिले तो रामानंद जी ने उन्हें एक स्क्रिप्ट पढ़ने को दी सुनकर रामानंद जी ने एक प्रतिक्रिया दी अरविंद जी बहुत अच्छा मुझे मेरा रावण मिल गया चकित होकर अरविंद जी ने पूछा कि मैंने कोई डायलॉग भी नहीं बोला फिर भी मेरा चयन कैसे हुआ। खैर रामनंद जी को पहले से ही पता था कि उनका ए जबरदस्त किरदार कौन निभाएगा अरविंद जी ने रावण का किरदार निभाया कि रावण को धरती पर फिर से ले आए और रावण के किरदार को सफलता के बुलंदी तक पहुंचा दिया इस धारावाहिक के बाद अरविंद जी निजी जिंदगी में रावण ही बन गए।
अरविंद त्रिवेदी राजनीतिक करीअर
1991 में, अरविंद त्रिवेदी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में साबरकथा निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य के रूप में चुने गए और 1996 तक इस पद पर रहे। रावण की किरदार के प्रसिद्धि की वजह से गुजरात में टिकट मिल गया। 2002 में उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था। अरविंद त्रिवेदी ने 20 जुलाई 2002 से 16 अक्टूबर 2003 तक सीबीएफसी प्रमुख के रूप में काम किया।
अरविंद त्रिवेदी का निधन
उन्हें ६ अक्टूबर २०२१ को ९:३० के आसपास दिल का दौरा पड़ा। मुंबई में उनके कांदिवली निवास पर उनका निधन हो गया।
अरविंद त्रिवेदी प्राप्त पुरस्कार
त्रिवेदी ने गुजरात सरकार द्वारा प्रदान की गई गुजराती फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए सात पुरस्कार जीते।
अरविंद त्रिवेदी रावण का किरदार क्यों नहीं निभाना चाहते थे
जब अरविंद त्रिवेदी जी से पूछा गया कि वह कौन सा किरदार रामायण में अदा करना चाहेंगे तो उन्होंने कहा कि केवट का उन्होंने केवट का रोल इसीलिए करना चाहा कि वह खुद को बहुत बड़ा राम भक्त मानते थे। रामायण में केवट बहुत बडे रामभक्त हैं।
अरुण गोविल (राम) ने अरविंद त्रिवेदी रावण के बारे में क्या कहा
आध्यात्मिक रूप से रामावतार का कारण और सांसारिक रूप से एक बहुत ही नेक, धार्मिक, सरल स्वभाव इंसान और मेरे अति प्रिय मित्र अरविंद त्रिवेदी जी को आज मानव समाज ने खो दिया निसंदेह वे सीधे परमधाम जाएंगे और भगवान श्रीराम का सानिध्य पाएंगे
सुनील लहरी (लक्ष्मण) ने अरविंद त्रिवेदी जी के बारे में क्या कहा
बहुत दुखद समाचार है कि हमारे सबके प्यारे अरविंद भाई अब हमारे बीच नहीं रहे भगवान उनकी आत्मा को शांति दे मैंने मेरे मार्गदर्शक चाहने वाले और सज्जन को खो दिया है
पंतप्रधान नरेंद्र मोदी जी ने अरविंद त्रिवेदी के बारे में क्या कहा
हमने श्री अरविंद त्रिवेदी को खो दिया जो एक टैलेंटेड एक्टर के साथ साथ जनसेवा के प्रति भी जूनूनी थे भारतीयों की पीढ़ियों के लिए उन्हें रामायण टीवी सीरियल में उनके काम के लिए याद किया जाएगा।
अपराजिता भूषण (मंदोदरी) ने अरविंद त्रिवेदी जी (रावण) के बारे में क्या कहा
मैं जब भी आसमान की ओर देखती हूं तो मुझे यह महसूस होता है कि कुछ सितारे कुछ समय के लिए आसमान से जमीन पर उतर आते हैं और हमें अपनी महक और योगदान देकर फिर लौट जाते हैं। इनमें से एक सितारा अरविंद त्रिवेदी जी भी हैं। जिन्होंने इतने सारे स्टेज शोज किए फिल्में की लेकिन रामानंद सागर जी के रामायण में जो इन्होंने रावण की भूमिका निभाई तब उन्होंने हमारे दिलों में दर्शकों के दिलों में एक ऐसी जगह बनाई जो शायद ही कोई और ले सकेगा और मेरे लिए तो ए सौभाग्य की बात है मेरा कैरियर मैंने उनके साथ शुरू किया। मंडोदरी के रोल में मै एक ऐसे कलाकार के सामने खड़ी थी जिनकी आंखे बोलती थी, जिनकी आवाज गरजती थी और मैं सही में डर गई थी। पहला सीन जब मैंने उनके साथ किया तो मुझे याद है कि करीब 28 – 30 रीटेक दिए। लेकिन उनका बड़प्पन देखें उनके माथे पर एक भी झुनझुनाहट की शिकन नहीं थी। बार-बार कहते चलो कोई बात नहीं फिर से करते हैं ऐ अरविंद त्रिवेदी जी है और उसके बाद तो हमने दो-तीन रिहर्सल हम करते थे और हमारा शॉट देते थे।
दूसरों की प्रशंसा में वह कभी नहीं रुकते थे चाहे वह कोई भी आर्टिस्ट हो बहुत सिंपल इंसान थे। सब के साथ एक जैसा व्यवहार, सब के घूल मिलकर बातें करना, हंसना लेकिन जैसे स्क्रिप्ट उनके हाथ में आती वैसे वह अपने डायलॉग पढ़ने में गुम हो जाते जैसे सेट पर आते कैमरे के सामने तो भूल जाते थे कि वह अरविंद त्रिवेदी है तब बस वह रावण थे। उनकी चाल, उनका उठना बैठना, बोलना सब कुछ अपनी भूमिका में डूब जाते थे। पिछले साल जब रामायण रिटेलीकास्ट हुयी तब हमने 30 साल बाद फोन पर बात की मैसेज किए एक दूसरे को जब भी कोई इमोशनल सीन आता तो उनका मैसेज आता वाह बहुत अच्छे और मतलब ज्यादा तो बात ही नहीं करते थे लेकिन तभी उन्होंने मुझसे पूछा कैसी हो? क्या कर रही हो?
उनके साथ मेरे बहुत सारी यादें जुड़ी हुई है प्रोफेशनल उन्होंने मुझे सिखाया किस तरह से मतलब कैमरा फेस करना, किस तरह से आत्मविश्वास को बढ़ाना, किस तरह से अपने में एक विश्वास रखना लेकिन उन सब में से मुझे एक बात हमेशा याद रहेगी और यह एक बात मैं कभी भूलूंगी नहीं मैं तब नयी कलाकार थी मेरे कुछ 23 एपिसोड टेलीकास्ट हुए थे। जब रामायण की शूटिंग कर रहे थे हम तो हम सेट के बाहर बैठे थे। अपने अपने कास्ट्यूम में, अपने मेकअप में और शाट का इंतजार कर रहे थे अचानक भीड़ उमड़ पड़ी उनके फैंस की वृंदावन स्टूडियो में उमरगाव में जहां हम शूटिंग करते थे। वह अक्सर होता था रामायण के सब फैंस वहा आते थे अपने आर्टिस्टो को देखने के लिए तो हम दोनों बैठे थे और उनके फैंस उनके तरफ आ गए ऑटोग्राफ लेने के लिए उन्होंने ऑटोग्राफ दिया और अचानक उन्होंने मेरी तरफ इशारा किया और कहा इनका भी ऑटोग्राफ ले लो मैं तो मेरे लिए तो ऐसे एक सपना था क्योंकि मैं कभी सोचा भी नहीं था कि 1 दिन में ऑटोग्राफ दूंगी लोग आए मेरा ऑटोग्राफ लिया
जब वह चले तो तो मैंने अरविंद जी से कहा मेरा ऑटोग्राफ मैं तो…. कुछ भी नहीं हूं मुझे तो एक्टिंग आती भी नहीं है ठीक से और अरविंद जी ने मुझे कहा अपराजीता यह तुम्हारी शुरुआत है। तुम भारत भूषण जी की बेटी हो उनका थोड़ा सा तो टैलेंट तुम में आया होगा ना आगे बढ़ो तुम्हें बहुत सारा काम मिलेगा ऊपरवाला तुम्हारे साथ है। आज भी उनके शब्द मेरे दिल में मेरे साथ है मैं कभी नहीं भूलूंगी उनका यह आशीर्वाद हमेशा याद रखूंगी मैं। आज अरविंद जी हमें छोड़ कर चले गए हैं। लेकिन कहीं पर आसमान से वह एक सितारा बनकर जरूर मतलब हमारी श्रद्धांजलि सुन रहे होंगे आज मंदोदरी की एक छोटी सी श्रद्धांजलि सुन कर मुस्कुरा रहे होंगे और मैं बस यही प्रार्थना करूंगी कि वह जहां भी है हमेशा उनका आशीर्वाद हम सब के साथ बना रहे। अरविंद जी आपको अपराजिता का प्रणाम।
रामायण में रावण के प्रसिद्ध डायलॉग
- जब भी कोई अपूर्व शक्ति प्राप्त कर लेता है तो तुम्हारी माया ही उसे शक्ति के मद में पागल बना देती है शक्ति का मद तो तुम्हारे देवता भी सहन नहीं कर सकते उन्हें भी अहंकार आ जाता है यह अवस्था मेरी है। शक्ति आ पायी उनसे अहंकार हुआ और उस अहंकार और शक्ति का मद सहन नहीं कर सका उन शक्तियों के मद में दूसरों पर अत्याचार भी किए। धर्म को छोड़कर अधर्म के मार्ग पर चला तो उसका दंड भी भोगना पड़ेगा परंतु रावण दंड भी उसी गर्व के साथ भागेगा जिस गर्व से उसने उस शक्तियों का भोग किया है।
- राम… सुना था रघुवंशी बड़े वीर होते हैं परंतु तुम्हें देखकर वह धारना दूर हो गए तुम तो किसी राजा के दरबार में बिदावनी सुनाने वाले भांडो और पंडितों के भाँति कोई उपदेशक लगते हो अरे जो वीर होते हैं वह धनुष्य बाण से बात करते हैं जबान से नहीं और ए कंधे पर जो धनुष रखा हुआ है ना वह कोई शोभा की वस्तु नहीं होता उससे तीर चलाए जाते हैं
- ऐसे मान लिया हमने भ्रम से नारायण को नहीं पहचाना मान लिया हमने चित्त के मोह में एक स्त्री का हरण कर लिया मान लिया हमने गौरव और अहंकार में हमने किसी का परामर्श नहीं सुना इन सब बातों की चर्चा करने से इतिहास पीछे नहीं मुड़ जाएगा जो बीत गया बुद्धिमान उस का शौक नहीं करते भविष्य की चिंता कर्मयोगी नहीं करता इस समय इस क्षण क्या करना है उसका ही निश्चय आवश्यक हो जाता है जीना अच्छी बात है परंतु जो अपनी आन को बेच कर जीते हैं वहां राम नाम के भक्ति उनका कोई आदर नहीं करता मृत्यु तो एक दिन अवश्य आएगी परंतु जो कायर होते वह मृत्यु के आने से पहले कई बार मर जाते हैं जो जीवन के अंतिम क्षण तक अपना मस्तक किसी के आगे झुकने ना दे जो वीरों के भांति लड़ते हुए मर जाए उसी के जीने में भी शान है उसके मरने में भी शान है
- तुम हमे शास्त्र सुना रहे थे अरे शास्त्र में तो यह भी लिखा है यदि भाई ने कोई पाप भी किया है वह अपराधी भी हो तभी संकट में जो उसका साथ दें वही भाई कहने योग्य होता है अपराधी को शिक्षा सभी दे सकते हैं परंतु भाई वहीं है जो संकट मे खड़ा रहे सहायता करें शिक्षा न दे जाओ जाकर सो जाओ रावण को अपनी आन निभाना और शान के साथ जीना और मरना दोनों आते हैं।
अरविंद त्रिवेदी फिल्मोंग्राफी
फिल्म
- पराया धन(1971)हिंदी
- जेसल तोरल(1971)गूजराती
- जंगल में मंगल(1972)हिंदी
- आज की ताजा खबर(1973)हिंदी
- त्रिमूर्ति(1974)हिंदी
- होटल पद्मिनी(1974)गूजराती
- जोगीदास खमन(1975)गूजराती
- शेतलने काँटे(1975)गूजराती
- संतू रंगीली(1978)गूजराती
- पैसों बोले छे(1977)गूजराती
- भगत गोराकुंभार(1978)गूजराती
- हम तेरे आशिक हैं(1979)हिंदी
- मनीयारो(1980)गूजराती
- ढोली(1982)गूजराती
- सती तोरल(1989)गूजराती
- दादाने वहाली डिकरी(1989)गूजराती
- देश रे जोया दादा परदेस जोया(1998)गूजराती
टेलीविजन
- विक्रम और बेताल(1985)
- रामायण(1987)
- ब्रह्मऋषि विश्वामित्र(1989)
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